कर्मचारियों की हुई मौज! पुरानी पेंशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का नया आदेश जारी : Old Pension Yojana

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

भारत में एक बार फिर पुरानी पेंशन योजना (OPS) चर्चा में है। यह वही योजना थी जो 1 जनवरी 2004 से पहले सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू थी और जिसके तहत सेवानिवृत्ति के बाद जीवनभर तय पेंशन दी जाती थी। OPS को “पे-एज़-यू-गो” सिद्धांत पर संचालित किया जाता था, यानी मौजूदा कर्मचारियों के वेतन से सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन दी जाती थी।

OPS की सबसे बड़ी विशेषता – जीवनभर की निश्चित आय और पारिवारिक सुरक्षा

पुरानी पेंशन योजना की सबसे बड़ी खासियत इसकी स्थायी और सुनिश्चित आय थी। इसमें कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद एक तय पेंशन राशि मिलती थी, साथ ही महंगाई भत्ता (DA) के माध्यम से पेंशन में समय-समय पर वृद्धि भी होती थी। इस योजना में पारिवारिक पेंशन का भी प्रावधान था, जिससे कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके आश्रितों को जीवनभर सहायता मिलती रहती थी।

क्यों बंद हुई OPS – वित्तीय दबाव बना बड़ी चुनौती

सरकारी खजाने पर लगातार बढ़ते बोझ के चलते 1 जनवरी 2004 से OPS को बंद कर दिया गया। इसके स्थान पर सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) लागू की, जो defined-contribution (योगदान-आधारित) मॉडल पर काम करती है। इसका उद्देश्य था कि पेंशन व्यवस्था को वित्तीय रूप से टिकाऊ और पारदर्शी बनाया जा सके।

NPS की संरचना – कर्मचारी और सरकार दोनों करते हैं योगदान

NPS के तहत कर्मचारी के वेतन (Basic + DA) का एक निर्धारित हिस्सा पेंशन फंड में जमा किया जाता है। केंद्र सरकार की ओर से भी नियोक्ता-योगदान दिया जाता है। आम तौर पर कर्मचारी 10% योगदान करता है, जबकि सरकार की ओर से यह हिस्सा 14% तक तय किया गया है। यह फंड मार्केट-आधारित निवेशों में लगाया जाता है, जिससे रिटायरमेंट पर मिलने वाली राशि तय नहीं बल्कि निवेश के प्रदर्शन पर निर्भर होती है।

अदालतों में लगातार चल रहा विवाद और पात्रता के फैसले

OPS बहाली को लेकर कई बार न्यायालयों में याचिकाएं दायर की गई हैं। केंद्र सरकार ने मार्च 2023 में एक सामान्य आदेश (Office Memorandum) जारी कर उन केंद्रीय कर्मचारियों को एक बार का विकल्प दिया जिनकी भर्ती या विज्ञापन तिथि 22 दिसंबर 2003 से पहले की थी। हालांकि, इसके क्रियान्वयन को लेकर विभागीय व्याख्याओं और न्यायिक सुनवाईयों का सिलसिला अब भी जारी है।

राज्यों का कदम – राजस्थान ने बहाल की OPS, लेकिन केंद्र-राज्य टकराव बरकरार

कई राज्यों ने OPS को पुनः लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। राजस्थान सरकार ने 2022 में OPS बहाल करने की घोषणा की थी, लेकिन केंद्र सरकार से NPS के अंतर्गत जमा फंड की वापसी को लेकर स्पष्टीकरण और कानूनी पेचिदगियाँ सामने आईं। राज्य स्तर पर OPS बहाली से वित्तीय बोझ बढ़ने और केंद्र-राज्य समन्वय की चुनौतियाँ उभर आईं।

2024 में केंद्र सरकार का नया प्रयास – यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)

केंद्र सरकार ने 2024 में Unified Pension Scheme (UPS) की घोषणा की, जिसे OPS और NPS के बीच का एक मध्यम मार्ग बताया जा रहा है। इस नई व्यवस्था में 25 साल की सेवा के बाद औसत वेतन का लगभग 50% गारंटीड पेंशन देने का प्रावधान है। इसके अलावा, न्यूनतम ₹10,000 प्रति माह की समर्थित पेंशन का वादा भी किया गया है।

सरकार के अनुसार UPS में कर्मचारी का योगदान 10% रहेगा, जबकि केंद्र सरकार कुल मिलाकर 18.5% तक का योगदान देगी, जिसमें 10% प्रत्यक्ष और 8.5% पूल्ड फंड के रूप में होगा।

बढ़ता आर्थिक दबाव और नीति निर्माताओं की चुनौती

OPS जैसी गारंटीड पेंशन व्यवस्था का पुनः विस्तार सरकार पर भारी वित्तीय दबाव डाल सकता है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 के बजट में ही पेंशन मद के लिए ₹2.07 लाख करोड़ का प्रावधान किया था। इसी प्रकार राज्यों का कुल पेंशन व्यय भी लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में नीति निर्माताओं के सामने चुनौती यह है कि वित्तीय अनुशासन और कर्मचारियों की सुरक्षा – दोनों के बीच संतुलन बनाया जा सके।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Leave a Comment

WhatsApp Group